पिपरी कल्याण मंडपम हुआ निजी हाथो में , सुविधा ले पैसा दे, नही तो खाली नही होने का बहाना ही मिलेगा !
पिपरी कल्याण मंडपम हुआ निजी हाथो में , सुविधा ले पैसा दे, नही तो खाली ?
( ब्यूरो सोनभद्र संस्करण )
पिपरी नगर पंचायत कल्याण मंडपम हुआ निजीकरण, अब आपको बुक करने के लिए देना होगा सुविधाओ के अनुरूप शुल्क, पहले था कोई भी गरीब व्यक्ति चाहता था तो छोटे मे शुल्क जमाकर कम सजावट मे ही मेहमानों और बारातियों का स्वागत कर अपने दायित्वों का निर्वाहन कर लेता था, किंतु अब ऐसा नही होगा, अब शायद ऐसे लोगो के लिए शायद खाली खाली ना मिले, अब या तो वो अधिशासी अधिकारी के अनुसार सरकार द्वारा निर्धारित योजना सामूहिक विवाह का लाभ ले अन्यथा निर्धारित शुल्क जमा करे, मंडपम मे जो सुविधा अलग से होगी उसका पैसा भी अलग देना होगा नही तो खाली भी नही मिले शायद, क्या यही सोचकर पूर्व पिपरी नगर पंचायत अध्यक्ष स्व. काशी सिंह ने विभाग से लड़कर इस कल्याण मंडपम की नींव रखकर निर्माण कराया होगा। उन्होंने तो यह सोचकर बनवाया था की जो व्यक्ति टेंट, आदि अन्य खर्च का वहन करने मे असमर्थ होगा वो केवल इस मंडपम मे ही अपनी आवश्यकताओं को पूरा करेगा, लेकिन अब वर्तमान चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी की सोच ही अलग होगा ये कौन जनता होगा।लोगो की सोच कई गुना आगे की हो गयी है। न्यूनतम मूल्य 40,000 कल्याण मंडप का नगर पंचायत रेंट तय किया है जिसमे टेंट, बर्तन, सजावट के साथ निर्धारित है किंतु कितना सजावट, कितना एरिया टेंट का होगा, कितनी कुर्सी होगी उसका भी लिस्ट जारी होना चाहिए ,लगभग 10 करोड बिजली का बिल बकाया है तो बिना एनोसि के दूसरा बिजली कनेक्शन हो सकता है क्या जबकि आवास पर या प्लाट पर नही होता यदि उक्त स्थल पर बकाया विधुत बिल है तो, पिपरी नगर मे लगभग 10 लोग टेंट व्यवसाय से जुड़े थे जिनका टेंट वहा लगता था अब शायद नही लगेगा क्योकि जो नीलामी मे लिया है अब उसपर निर्भर है जो खुद टेंट व्यवसायी है, तो वो टेंट का भी राम जाने, कैटरिंग मे भोजन और अन्य कार्यो मे लगभग 150 लोग कार्यरत थे वो भी अब सोचे क्योंकि अब उनके भी पेट पर लात मारा जा चुका है।