योग से शारीरिक, मानसिक शांति, समाधान आध्यात्मिक संतुलन मिलता है प्रयागराज के महाकुंभ में आत्मसाक्षात्कार शिविर सहजयोग ध्यान का कार्यक्रम एक व्यापक पैमाने पर चल रहा है । इसकी जानकारी पुणे से आए सहजयोग के मयूर जी ने दिया उन्होंने बताया कि हमारी टीम विभिन्न विभिन्न जगहों से आकर कुंभ में आए लोगों को सहज योग से रूबरू करा रही है साथ ही सहज योग के व्यवस्थापक चंद्रकांत ने बताया कि ध्यान किया नहीं जा सकता हम ध्यान की स्थिति में चले जाते हैं यह एक स्वतः होने वाली प्रक्रिया है, व्यक्ति के विचार या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्य काल में। जब हम अधिक भूतकात या भविष्यकाल के विचारों में चले जाते हैं तो शरीर में तनाव आ जाता है और हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक असंतुलन आ जाता है माताजी निर्मला देवी द्वारा
काल के विचारों में चले जाते हैं तो शरीर में तनाव आ जाता है और हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक असंतुलन आ जाता है माताजी निर्मला देवी द्वारा बताए गए सहजयोग ध्यान करने से हम स्वयं ही निर्विचार अवस्था को प्राप्त कर जाते हैं और वर्तमान की स्थिति में आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि सकारात्मक सोच के ध्यान अति आवश्यक है,माताजी निर्मला देवी ने 5 मई 1970 से गुजरात नारगोल से सहयोग की शुरुआत की थी आज विश्व के 170 से ज्यादा देशों के लाखों लोग सहयोग ध्यान का लाभ प्राप्त कर रहे हैं यह एक स्वतः होने वाली प्रक्रिया है जिसमें हम शरीर में उपस्थित तीनों नाड़ियां इड़ा, पिंगला ,सुषुम्ना व सात चक्रों में कुंडलिनी जागरण से संतुलन प्राप्त करते हैं। अंत में आए हुए सभी साधको को कुंडलिनी जागरण से आत्म साक्षात्कार की अनुभूति कि गई।
सुषुम्ना व सात चक्रों में कुंडलिनी जागरण से संतुलन प्राप्त करते हैं। अंत में आए हुए सभी साधको को कुंडलिनी जागरण से आम साक्षात्कार की अनुभूति कई गई। उन्होंने बताया कि सहज योग 26 फरवरी तक सभी साधकों को निःशुल्क ध्यान और आाम-साक्षात्कार देगा। पंद्रह सौ से अधिक सहज योग अभ्यासकों जो शिक्षक, इंजीनियर डॉक्टर, आईएएस अधिकारी, सैन्य अधिकारी और मानव संसाधन है, जो कि नए साधकों को आत्म साक्षात्कार का अनुभव देने के लिए उपस्थित रहेंगे। यह सारी जानकारी चंद्रकांत जी ने पत्रकार अमित पाठक को देते हुए उन्होंने बताया कि सहज योग के बारे में हम आप सभी पत्रकार साथियों से चाहेंगे कि आप सभी अपने समाचारों के माध्यम से सहजयोग को आगे बढ़ाने का कार्य करें यह परमात्मा का एक सर्वोत्तम कार्य है।