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ओबरा में पावरहाउस तले अंधेरा,भोर एवं मध्य दोपहर में विद्युत कटौती।

विष अमृत तहसील संवाददाता

नागरिक घर के बाहर बीताते दिन,वितरण विभाग संवेदनहीन।
प्रदूषण जीने नहीं देता,विद्युत कटौती सोने नहीं देती,रामराज्य का न्याय ओबरा /सोनभद्र-प्रदेश को सर्वाधिक विद्युत प्रदान करने वाला ओबरा नगर इनदिनों विधुत वितरण निगम की संवेदनहीन नीतियों से चैन से विश्राम भी नहीं कर पाता।इस पहाड़ी क्षेत्र की विकराल गर्मी में सुबह पांच बजे तथा मध्य दोपहरी में विद्युत कटौती कर पावर प्रोजेक्ट निर्माण में लगे श्रमिक परिवार तथा सर्वहारा वर्ग को परेशान किया जाता है।गरीब नागरिकों ने बताया कि पावरहाउस की राख कोयला की डस्ट, क्रशर का प्रदूषण तो हम झेलते ही हैं,आजकाल गर्मी शुरूहोते ही न्याप्रिय सरकार के विद्युत मंत्री के निर्देश पर सब धान बाइस पसेरी की नीति पर ग्रामीण क्षेत्र की तरह विद्युत कटौती की जाती है।ज्ञातव्य हो कि ओबरा नगर तहसील मुख्यालय, नगर पंचायत तथा विधान सभा का केंद्र है।आज भी रामनगर में बैठे विधुत वितरण के भाग्यविधाता इसे पिछड़ा ग्रामीण क्षेत्र मानकर विद्युत कटौती का नियम बना रहे हैं।लोगों ने बताया कि पिछले मंत्री तथा पूर्व की सरकार में कभी भोर तथा मध्य दोपहर में विधुत रोस्टिंग नहीं होती थी।जानकार बताते हैं ,कि पावरप्रोजेक्ट के 5कि.मी. के दायरा में विद्युत कटौती नहीं की जा सकती।यहां दिनभर विजली का लुकाछिपी चलती रहती है।यह अन्याय उस क्षेत्र में हो रहा है,जहां समाजकल्याण राज्य मंत्री निवास करते हैं।विद्युत वितरण के यहां के आलाअधिकारी प्रोजेक्ट के क्वाटरों में रहते हैं,क्या जानें पीर पराई ?यक्ष प्रश्न। ओबरा में बनती बिजली से पूरा प्रदेश आलोकित है,दुर्भाग्य है कि यहां के नागरिक भयंकर गरम में पेड़न के नीचे दिन बीताने को मजबूर हैं।गांव में एक कहावत प्रचलित है,मजा मारें गाजी मियां,धक्का सहें मुजावर।नगर के संवेदनशील नागरिकों ने मा. विद्युत मंत्री जी से ओबरा नगर के महत्व को समझते हुए सुबह 8बजे से तथा सायं 4बजे कटौती का नियम बनाने की मांग की है।पहले की तरह ओबरा में विधुत कटौती की जाए।

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