वट सावित्री व्रत इस बार 26 मई या 27 मई को ?
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वाराणसी। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन दर्श अमावस्या का भी संयोग बन रहा है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखद दांपत्य जीवन के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं। वट सावित्री का व्रत सौभाग्य की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस बार तिथियों के फेर में लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वट सावित्री व्रत सोमवार 26 मई को है अथवा 27 मई मंगलवार को ?
इस बाबत काशी तीर्थ पुरोहित सभा के अध्यक्ष व धर्मकूप (मीरघाट-दशाश्वमेध), स्थित वट सावित्री माता मंदिर के प्रधान पुरोहित पं कन्हैया लाल त्रिपाठी ने बताया कि काशी खंडोक्त के अनुसार, कंचन वट सावित्री का संयुक्त मंदिर दशाश्वमेध क्षेत्र स्थित मीरघाट के धर्मकूप मुहल्ले में है। यहां आज के दिन पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, खासकर विवाहित महिलाओं के लिए। यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को किया जाता है। हालांकि, उत्तर भारत की महिलाएं इसे एक दिन पहले करती हैं, जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत की महिलाएं इसे उत्तर भारतीयों से 15 दिन बाद करती हैं। इस दिन विशेष रूप से बरगद के पेड़ की पूजा करना अनिवार्य होता है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश बरगद के पेड़ में निवास करते हैं।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि वैदिक कैलेंडर के अनुसार, 2025 में ज्येष्ठ माह की अमावस्या 26 मई को रात 12:11 बजे से शुरू होगी और 27 मई को सुबह 08:31 बजे तक समाप्त होगी। इसलिए, वट सावित्री व्रत 26 मई दिन सोमवार को ही मनाया जाएगा। इस दिन सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी।
वट वृक्ष का महत्व
पं कन्हैया त्रिपाठी ने आगे बताया कि बरगद के पेड़ को वट वृक्ष भी कहा जाता है, जो इस व्रत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुरानी कथाओं के अनुसार, सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे बैठकर कठोर तपस्या की थी। इसी कारण इसे वट सावित्री व्रत कहा जाता है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठकर वट सावित्री व्रत कथा सुनती हैं। बिना इस कथा को सुने व्रत पूरा नहीं माना जाता। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं।
वट सावित्री व्रत के नियम
व्रत की तैयारी: इस दिन महिलाएं बिना पानी के उपवासी रहती हैं, इसलिए अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
सकारात्मक सोच: व्रत के दौरान अपनी सोच को सकारात्मक रखें और मन को दिव्य शक्ति में केंद्रित करें।
नकारात्मकता से बचें: किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या बुरी बातें दूसरों से न कहें।
परिवार के आशीर्वाद लें: इस दिन परिवार के बुजुर्गों से आशीर्वाद लेना बहुत शुभ माना जाता है।
व्रत के दौरान पहनावा: महिलाएं लाल रंग के वस्त्र पहनें और 16 श्रृंगार से सजी रहें।
तामसिक भोजन से बचें: इस दिन तामसिक आहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
पतिव्रता को सम्मान दें: अपने पति से किसी भी प्रकार के विवाद या बहस से बचें।
वट सावित्री व्रत संपूर्ण पूजा सामग्री लिस्ट
कलावा या कच्चा सूत (वट वृक्ष की परिक्रमा के लिए)
बांस का पंखा
रक्षासूत्र
पान के पत्ते
श्रृंगार का सामान: लाल चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, काजल, आलता, कंघी, मेंहदी, लाल साड़ी
काले चने (भिगोए हुए)
नारियल, बताशा, फल
वट सावित्री व्रत कथा की पुस्तक
सावित्री-सत्यवान की फोटो
धूप, दीपक, अगरबत्ती
पूजा की थाली या टोकरी
सवा मीटर लाल या पीला कपड़ा
सिंदूर, रोली, अक्षत, कुमकुम, चंदन, सुपारी, फूल
पानी का कलश
मिठाई
सात प्रकार के अनाज
वट वृक्ष की शाखा (यदि पास में वट वृक्ष न हो)