जम्मू कश्मीर पुलिस में भर्ती हैं पाकिस्तानी लोग
जम्मू /राजौरी , (अनिल भारद्वाज)

डोडा और उधमपुर हुआ था नरसंहार, आतंकियों ने 3 साल की बच्ची सहित 35 अल्पसंख्यक का लाइन में खड़ा कर किया था कत्ल
– निजी गाड़ियों पर भारत सरकार, पुलिस लिखवाना आम बात , शरारती तत्व दे रहे धोखा
जम्मू-कश्मीर की निहत्थी आवाम शुरू से ही जुल्म सहती आ रही है और देश की केंद्र सरकार में बैठे सियासतदान अपनी सियासत की रोटी सेक जुल्मों पर हमेशा से पर्दा डालते आ रहे हैं।
आज ही के दिन 30 अप्रैल 2006 को जम्मू कश्मीर के डोडा और उधमपुर में आतंकियों ने 35 लोगों का बेरहमी से कत्ल कर दिया था। और आतंक आज भी जारी है। सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
जम्मू कश्मीर में सुरक्षा को लेकर लापरवाही इतनी की भारतीय सेना, और जम्मू-कश्मीर पुलिस के रैंक – यूनिफार्म मिलना आम बात है। बहादुरी के हिसाब से रैंक मिलना जायज है, पर अधिकारी और जवान की वर्दी भी अलग-अलग है।
जहां तक की संदिग्ध लोग सीमावर्ती जिला में स्टार लगाकर फर्जी पुलिस अधिकारी बन सड़कों पर सरेआम घूमते देखे जाते हैं भारतीय एजेंसियां और अन्य संबधित अधिकारी इसे हल्के में लेते आए हैं। इससे फायदा नहीं बल्कि देश की सुरक्षा को लेकर नुकसान है और लापरवाही को दर्शाता है। जम्मू कश्मीर में आतंकियों द्वारा जानी नुकसान करना आम हो गया है।
लापरवाही इतनी की जम्मू-कश्मीर पुलिस में पाकिस्तानी लोग सरकारी तौर पर ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं और जेके में घटिया नीतियों के चलते पढ़ा – लिखा युवा आज भी सड़कों पर दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
सेना के जवानों के दावों के मुताबिक कुछ सेना अधिकारी देश सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि पैसे और अवैध धंधे के लिए LoC ( नियंत्रण सीमा) कार्य करते हैं। जो देश के लिए खतरा साबित हो रहा है।
जम्मू कश्मीर में बड़े अधिकारी लग्जरी गाड़ियों से पांव नीचे नहीं रखते और जवान ट्रकों में मीलों का सफर तय करते हैं। जम्मू-कश्मीर में 370 हटने के बाद, जंगल और मैदानी इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बावजूद आज भी आवाम असुरक्षित है। आतंक ग्रस्त सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंक को लेकर चारों ओर खौफ का माहौल है। और सियासतदान हर बार मुर्दों पर ही सियासत करते देखे जा सकते हैं। और भी लापरवाहियां है जो सुरक्षा के लिहाज से हम बता नहीं सकते। लोगों का कहना है कि जिस क्षेत्र में सुरक्षा में खामियां दिखे वहां के संबधित सुरक्षा एजेंसियों के लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को सस्पेंड या डिमोशन करना जरूरी है। किसान आंदोलन में किसान दिल्ली नहीं पहुंच पाए, और पाक में बैठे आतंकी नियंत्रण रेखा लांग जम्मू कश्मीर व देश के अन्य हिस्सों में आसानी से कैसे पहुंच जाते हैं। वो भी भारी मात्रा में गोला बारूद के साथ।
जम्मू कश्मीर में निजी गाड़ियों ( सफेद प्लेट और काले नंबर) पर चालान और उनपर नीली-लाल बत्ती, भारत सरकार, पुलिस, मीडिया लिखवाना भी आम है। आखिर आतंक कब खत्म होगा।
आज ही के दिन जम्मू – कश्मीर के डोडा और उधमपुर जिलों में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने दो अलग-अलग हमलों में 35 ग्रामीणों को उनका धर्म पूछ कर मार डाला था, जिनमें डोडा के थावा गाँव में 22 हिंदुओं को गोली मार दी गई थी।
डोडा हमला_ थावा गाँव में 10-12 आतंकी जो भारतीय सेना की वर्दी पहने हुए थे, ने 22 निहत्थे हिंदू ग्रामीणों, जिनमें ज्यादातर चरवाहे और उनके परिवार थे, को लाइन में खड़ा करके गोली मार दी थी। इसमें एक 3 साल की बच्ची भी मारी गई थीं।
उधमपुर हमला_ लालोन गल्ला गाँव में 13 हिंदू चरवाहों को आतंकियों ने अपहरण करके गोली से मार डाला था
इस घटना ने हिंदू समुदाय में भय फैलाया और कई परिवारों ने डर के मारे अपने गाँव छोड़ दिए।
जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी नहीं बल्कि इजाफा ही हुआ है। जम्मू कश्मीर में खून खराबा लगातार जारी है। नियंत्रण सीमा रेखा पर भी हालात खराब हैं। जम्मू कश्मीर के अंतर्गत आईबी और एलओसी के पास रहने वाले लोगों की दिक्कतें बड़ गई हैं।
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