ओबरा इंटर कॉलेज के निजीकरण के विरोध में फिर एक जुट हुए रहवासी और छात्र, किया काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन
वीरेंद्र कुमार / आर. एन सिंह ( संवाददाता)

वीरेंद्र कुमार / आर. एन सिंह ( संवाददाता)
ओबरा / सोनभद्र -राज्य में शिक्षा संस्थान में अहम स्थान रखने वाले और सोनभद्र की शान कहे जाने वाले ओबरा इंटर कॉलेज का जब से निजीकरण हुआ है तब से छात्रों के साथ स्थानीय लोग मुखर हो गए है। इसी क्रम में बतातें चलें कि ओबरा इंटर कॉलेज को डीएवी संस्था को दिए जाने पर खुल कर विरोध कर रहे है। कॉलेज को बचाने के लिए स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ राजनीतिक समूहों ने रविवार को बाहों में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया और राज्य विद्युत् उत्पादन निगम के प्रबंधन से तत्काल कॉलेज को पूर्व की भाँति निगम प्रबंधन के हाथों में लेने का आग्रह किया लेकिन प्रबंधन का मौन होना लोगों की असमंसज में डाला है। दबी जुबां से लोग यह तक कह डाले की निगम प्रबंधन की मिली भगत से ही कॉलेज को प्राइवेट हाथों में देने का कार्य हुआ है। अगर प्रबंधन चाहता तो गरीब बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर अपने उच्च अधिकारियों से समस्या का हल निकलवा सकता था।ओबरा इंटर कॉलेज को निजीकरण से लगभग 40 गावों की जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है क्योंकि उनके बच्चों के लिए स्थापित सबसे कम फीस वाले विद्यालय पर डीएवी संस्था का अवैध नियंत्रण बढ़ता जा रहा है। स्कूल में पढ़ने वालों बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि विद्यालय में जरूरी सुविधाएं कम होती जा रही हैं। शिक्षकों के बिना काम चलाऊ पढ़ाई से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है, फीस की पूरी जानकारी भी नहीं दी जाती है। कम फीस करके प्रवेश बढ़ा तो लिया जाता है, बाद में मनमानी फीस वसूलने के लिए अभिभावकों को टॉर्चर किया जाता है।
विद्यालय की दुर्दशा देखकर जो छात्र टीसी मांगते हैं उन्हें फेल की टीसी मनमानी पूर्वक दी जाती है। अधिकांश बच्चों को अंक पत्र नहीं दिया जा रहा है। शर्त यह है कि बाहर जाओगे तो फेल की टीसी और यही रहोगे तो पास मानकर अगली कक्षा में प्रवेश दे दिया जाएगा। बच्चे समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वह फेल हैं या पास। समस्या को लेकर कई बार ज्ञापन दिया जा चूका है, लेकिन सम्बंधित लोगों के कानो पर जूँ नहीं रेंगा साथ ही स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि इस गोरखधंधे और भ्रष्टाचार में विद्यालय के कुछ शिक्षक भी शामिल हैं। जिन्हें डीएवी की वफादारी का भरपूर लाभ मिल रहा है। ग्रामीणों की माने तो विद्यालय में प्रयोगात्मक कार्य होता ही नहीं, वाणिज्य वर्ग में प्रवेश बंद कर दिया गया। यहां तक कि प्राइमरी के शिक्षकों से प्रवक्ता का काम लेकर खानापूर्ति की जा रही है, शिक्षक भर्ती न करनी पड़े इसलिए अधिकांश विषयों में प्रवेश ही बंद कर दिया गया। आर्थिक भ्रष्टाचार का बोलबाला चल रहा है। आरओ 2 साल से खराब है, कमरों में साफ-सफाई बिल्कुल नहीं है, बच्चे खुद से ही सीट साफ करते हैं, बिजली बचाने के नाम पर कमरों की लाइट ही काट दी गई है। प्रदर्शन के दौरान कृष्ण कुमार गिरी ने कहा अगर लोकल स्तर से बात नहीं बनी तो सीएम योगी के पास हमलोग जाएंगे।
उन्होंने बताया कि अप्रैल 2023 से ही इस विद्यालय को बचाने के लिए विद्यार्थियों अभिभावकों के साथ-साथ राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधि प्रयासरत है। लेकिन स्थानीय निगम प्रबंधन इस समस्या पर मौन है।समस्याओ से निजात पाने के लिए ग्रामीण और विद्यार्थियों ने निर्णायक जंग का ऐलान कर दिया है और ओबरा इंटर कॉलेज को फिर से पुरानी व्यवस्था में लाने के लिए हर स्तर का प्रयास करने का संकल्प लिया है ।