देशवक्फ संशोधन अधिनियम 2025

‘अदालतें तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं जब तक…’, वक्फ कानून पर CJI बीआर गवई की बड़ी टिप्पणी

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।

‘अदालतें तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं जब तक…’, वक्फ कानून पर CJI बीआर गवई की बड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई हो रही है। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ दोनों पक्षों को सुनेगी। अदालत वक्फ बोर्ड पर आज अंतरिम आदेश भी जारी कर सकती है। इस मामले में दोनों पक्षों के बीच बहस जारी है। दोनों पक्षों को बहस के लिए 2-2 घंटे का समय मिलेगा।

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुनवाई होनी है। इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में 2 सदस्यों की पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की अध्यक्षता में दोनों पक्ष 2-2 घंटे तक बहस करेंगे। अदालत आज इस मुद्दे पर अंतरिम आदेश जारी कर सकती है।
CJI बीआर गवई ने क्या कहा?
वक्फ बोर्ड की सुनवाई के दौरान CJI बीआर गवई ने बड़ी टिप्पणी की है। सीजेआई के अनुसार, “संसद द्वारा पारित कानून की संवैधानिकता होती है। ऐसे में जब तक कोई ठोस मामला सामने नहीं आता, अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।”
कपिल सिब्बल ने याचिका के पक्ष में रखी दलील
सुप्रीम कोर्ट में दलील के दौरान वरिष्ठ एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ अल्लाह को दिया गया दान है। एक बार वक्फ को दी गई संपत्ति हमेशा के लिए वक्फ की होगी, इसे किसी और को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा-
यह अधिनियम वक्फ की रक्षा के लिए बनाया गया है। मगर, इस कानून को इस तरह से बनाया गया है कि वक्फ को गैर-न्यायिक तरीके से हासिल किया जा सके।

वक्फ पर सरकार का पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से गुजारिश की है कि अंतरिम आदेश पास करने के लिए सिर्फ तीन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाए। इनमें वक्फ बॉय यूजर, वक्फ का ढांचा और कलेक्टर की जांच वाला मुद्दा शामिल हो।

3 प्रावधानों पर फंसा पेंच
बता दें कि वक्फ बॉय यूजर में वो संपत्तियां आती हैं, जो वक्फ बोर्ड को दान में नहीं मिली हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल लंबे समय से वक्फ के लिए किया जा रहा है। वहीं, दूसरा मुद्दा वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की एंट्री को लेकर है। तीसरा मुद्दा वक्फ कानून में मौजूद प्रवाधान का है, जिसमें वक्फ संपत्तियों की जांच का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। मसलन अगर कलेक्टर को शक है कि यह संपत्ति वक्फ की नहीं है, तो उसे वक्फ की जमीन नहीं माना जाएगा।
19 मई तक नोटिस जमा करने का दिया था आदेश
बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ एक्ट 1955 पर रोक नहीं लगाने का आदेश दिया था। हालांकि, कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और केंद्र सरकार को 19 मई तक लिखित नोट जमा करने के लिए कहा था।

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